Advertisement

तू डाल-डाल मैं पात-पात...अधिकारी, माफिया और नेता साथ-साथ...

 

गरियाबंद : जिले में रेत के अवैध खनन में संलिप्त माफिया तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात' की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। एनजीटी, उच्च न्यायालय और राज्य सरकार की कड़ी हिदायत के बाद भी अंधेरी रात का फायदा उठा कर रेत माफिया नदियों का सीना मशीनों से चीर रहे हैं और जिलाधिकारी सिर्फ रटा-रटाया कार्रवाई की जाएगी का जवाब देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।


 गरियाबंद जिले के हिस्से वाले फिंगेश्वर ब्लॉक के महानदी के तटवर्ती गावों से अवैध तरीके से रेत का खनन बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी किए गए शिकायतों के बाद जांच किए जाने की बात कहकर अपना पल्ला सफेद रखने में भिड़े रहते हैं और वहीं रेत माफिया और राजनीतिक संरक्षण से लगातार गौढ खनिज संपदा का दोहन होता ही जा रहा है।


महानदी से सटे गांवों में लंबे समय से रेत माफिया पूरी तरह से सक्रिय हैं, लोगों कि मानें तो यहाँ के कुछ जनप्रतिनीधीयों ने महज चंद पैसों कि लालच में यहां ऐसा अंधा कानून बना रखा है कि पर्यावरण तो दूर यहां के लोगों के जान के साथ भी खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। इस बात की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को भी है लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते रेत माफिया पर हाथ डालने से प्रशासनिक अधिकारी डरते है !! विभाग के अधिकारियों से सांठ-गांठ और राजनीतिक संरक्षण होने के कारण पूरे महानदी में रेत का अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है, जिस कारण भी सालों से शासन को करोड़ो रुपए का चूना लग रहा है !! .........


वर्तमान में प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रति दिन लगभग 700 से 800 हाइवा पितईबंद मार्ग से रेत लेकर निकलते हैं। ग्रामीणों को शांत रखने के लिए एक नया फंडा भी इजाद किया गया है। 250 से 300 ग्रामिणों को रोजगार देने की बात कहकर 300-500 रूपये रोजी में रेत भरने के लिए यहां रखा जाता है। ये मजदूर सिर्फ अपनी उपस्थिती की खानापुर्ती ही करते हैं, सारा कारोबार अवैध तरीके से चलता रहता है। पोक्लेन मशीन से लोडिंग की अनुमती नहीं होने के बावजूद धड़ल्ले से नदी के सीने को चीरकर दिन-रात रेत खोद कर शासन के मुंह पर कालिक पोता जा रहा है।









एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ