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पंडवानी गायिका को मिला सम्मान...जानिए कहाँ और किसे....


गरियाबंद :
इंद्रधनुषीय लोक संस्कृति की छटा बिखेरता “छत्तीसगढ़” राज्य। यहां की सांस्कृतिक धरोहरों में से एक “पंडवानी” जिसका अर्थ है पांडववाणी अर्थात पांडवकथा, यानी महाभारत की कथा। यह अपने आप में एक ऐसी गौरव गाथा है जिसने सीधे लोगों की दिलों में जगह बना ली है।आज हम बात करेंगे पंडवानी गायिका यशोमती सेन के बारे में, जब वह मंच पर हाथ में तंबूरा लेकर कहानी प्रस्तुत करती है, तो तंबूरा कभी भीम की गदा बन जाता है तो कभी अर्जुन का धनुष। ओजस्वी स्वर, चेहरे में तेज और भावनाओं के साथ पंडवानी गायन उन्हें औरों से अलग बनाता है। त्रिदिवसीय रामायण मानस मंच ग्राम बोरिद में ग्राम वासियों और जय बजरंग मयारु मानस मंडली द्वारा सम्मानित किया गया।



गुरु माँ प्रेरणास्रोत...



पंडवानी की बारीकियों का ज्ञान उन्हें गुरु माँ पद्मश्री सम्मानित श्रीमती डॉ.तीजन बाई से मिला। लगन के साथ लगातार अभ्यास करती रहीं और परिणाम स्वरूप वह पंडवानी गायन में पारंगत हो गईं। माँ सरस्वती एवं गुरुदेव की कृपा से पंडवानी की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध होने लगे। अब तक वह देश के अलग-अलग जगहों पर 1000 से ज्यादा प्रतुति दे चुकी हैं.

एक परिचय पंडवानी से...
पंडवानी की उत्पत्ति महाभारत कथा से जुड़ी है।पंडवानी गायन का मूल उद्देश्य महाभारत कथा के प्रमुख घटनाओं को गीतों के माध्यम से सुनाना और संवादों को प्रस्तुत करना है।पंडवानी गायन की विशेषता इसमें उपयोग किए जाने वाले मुखपृष्ठों की है, जो पांडवों और कौरवों के चरित्रों को दर्शाते हैं।”पंडवानी” छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहर है जिसे मूल रूप में ही संजोकर रखने की आवश्यकता हैं। आधुनिकता की चकाचौंध में कथा कहानियां लुप्त सी हो गई हैं। नई पीढ़ियों को इसकी वास्तविकता से परिचय कराने की जरूरत है। यशोमती सेन जैसी पंडवानी गायिका इस विषम परिस्थितियों में भी इस विधा को सम्हालकर रखी हुई हैं। यदि आप भी यशोमती सेन के कार्यक्रम को अपने गांव या शहर में आमंत्रित करना चाहते हैं तो उनसे छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर अंतर्गत ग्राम बोरिद में सम्पर्क किया जा सकता है।








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