गरियाबंद/राजिम : कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वामी आत्मानंद स्कूलों में प्रतिनियुक्ति में गड़बड़ी का एक और मामला उजागर हुआ है। मामला स्वामी आत्मानंद राजिम स्कूल से है जिसका उन्नयन स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम के रूप में 2022 में हुआ था जिसमें शिक्षक और विभिन्न पदों पर प्रतिनियुक्तियां की गई थी। लोक शिक्षण संचालनालय छ.ग. द्वारा प्राचार्य के प्रतिनियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें हायर सेकंडरी स्कूल में 05 वर्ष का अध्यापन अनुभव आवश्यक है ऐसा आदेश जारी किया गया था।
प्रभारी प्राचार्य के पद पर नियमानुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा आवेदन मांगे गए थे किंतु चयन प्रक्रिया के समय तत्कालीन डीईओ करमन खटकर द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने खास व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने, नियम विरुद्ध प्राचार्य पद पर, ग्राम बेलर में पदस्थ संजय कुमार एक्का की प्रतिनियुक्ति कर दी गई। वर्तमान में पदस्थ प्राचार्य संजय कुमार एक्का जो पूर्व में बेलर में पदस्थ थे वर्ष 2016 शिक्षाकर्मी वर्ग-02 में पदोन्नत होकर व्याख्याता बने एवं 2018 से 2020 तक विभागीय एम.एड किया तथा 01 जुलाई 2022 को उन्होंने प्राचार्य पद पर प्रतिनियुक्ति हेतु आवेदन किया।इस प्रकार हायर सेकण्डरी स्कूल में इनका अध्यापन का अनुभव 5 से भी कम लगभग 4 वर्ष है।
गौरतलब है कि मांगे गए आवेदनों में विद्यालय के ही इनसे भी योग्य शिक्षकों ने इस प्रतिनियुक्ति हेतु आवेदन किया था, जिन्हें 5 वर्ष से भी अधिक का अनुभव है तथा जिनकी शैक्षिणक योग्यता,अंक इत्यदि भी वर्तमान प्राचार्य से अधिक ही है, किन्तु कांग्रेस शासन काल मे भाई भतीजा वाद के चलते गलत तरीके से नियमों को ताक में रखकर दूसरे स्कूल के सेटअप को बिगाड़ कर और कम अनुभवी व्यक्ति की प्रतिनियुक्ति कर दी गई। इस पद के लिए योग्य शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी एवं कलेक्टर को आवेदन देकर विषय की जानकारी दी, यहाँ तक प्रभारी मंत्री को भी इस विषय से अवगत कराया गया किंतु फिर भी शासन प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और वह प्राचार्य विगत 2 वर्षों से विद्यालय में गलत प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ है।
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता इंद्रजीत यादव द्वारा शासन से मांगी गई जानकारी में यह पाया गया कि प्रतिनियुक्ति में आए प्राचार्य संजय एक्का की शैक्षणिक योग्यता और व्याख्याता पद पर अनुभव भी अन्य आवेदक की तुलना में कम है । इन सब साक्ष्यों से स्पष्ट है कि उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों द्वारा ही शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा। शिक्षा विभाग में ही दबी आवाज में इस मामले की पुरजोर निंदा हो रही है ।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों द्वारा इस गड़बड़ी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। एबीवीपी छात्रों का कहना है कि जब शिक्षा विभाग में ही इस तरह का भ्रष्टाचार फैला है तो बच्चों को कैसी शिक्षा मिलेगी ? बच्चों का भविष्य खतरे में है। एबीवीपी के विद्यार्थियों ने शासन प्रशासन से मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करने की मांग की है तथा कार्यवाही न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों में इस मामले के सामने आते ही खासा रोष व्याप्त है इस पर तुरंत कार्यवाही और यथोचित न्याय की मांग की जा रही है। अब देखना यह है कि वर्तमान शासन प्रशासन द्वारा इस मामलें पर उचित कार्यवाही की जाती है अथवा मामलें को दबाने का प्रयास किया जाता है।
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